लगभग 75 फीसदी बच्चे होते हैं इस बीमारी के शिकार, तुरंत करें उपचार नहीं तो...
अम्बुज यादव
आज के समय में सिर दर्द की समस्या अत्यधिक सुनने को मिल रही है। किशोर बच्चों से लेकर बुजुर्ग सिर दर्द से परेशान है। वही शोध में पता चला है कि स्कूल जाने वाली उम्र के लगभग 75 प्रतिशत बच्चों को कभी-कभी सिरदर्द का अनुभ हो सकता है। उनमें से लगभग 10 फिसदी रोजाना और पुरानी स्थिति से पीड़ित होते हैं। आपको बता दे कि सिर दर्द दो प्रकार के होते है। पहला प्राथमिक सिरदर्द विकार, जिसमें माइग्रेन,तनाव-प्रकार का सिरदर्द,क्लस्टर सिरदर्द,पैरॉक्सिमल हेमिक्रानिया जो कि आंतरिक प्रक्रिकयाओं और अन्य ट्राइदेमिनल के कारण होता है। दूसरा ऑटोनोमिक सेफालिज्म और द्वितीयक सिरदर्द विकार होता है, जो किसी बीमारा के लक्षण के रुप में पैदा होता है।
पढ़ें- ठीक से नींद न आने से बन सकते हैं माइग्रेन के मरीज
लगभग 58.4 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे प्राथमिक सिरदर्द विकार के विभिन्न रूपों के शिकार हैं। बच्चों में सिरदर्द के सामान्य कारणों में सहकर्मी का दबाव, प्रदर्शन का दबाव या खराब प्रदर्शन और अतिरिक्त गतिविधियों को कम करना आदि शामिल हो सकता है। प्राथमिक सिरदर्द का निदान मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण के गहन और सावधानीपूर्वक अध्ययन द्वारा किया जा सकता है। वहीं अन्य तरह के सिरदर्दों को दवाईयों और उपचार द्वारा हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है। वही बच्चों में सबसे ज्यादा इनके कारणों को समझने में परेशानी होती हैं। माता-पिता को कभी-कभी समस्या की गंभीरता का पता लगाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि बच्चे अक्सर अपनी शिकायत को विस्तृत करने में विफल होते हैं। सिरदर्द का अनुभव करने वाले बच्चे अक्सर तेज़ गुस्सेल, चिड़चिड़े और हिंसक होते हैं। साथ ही, बच्चे विभिन्न लक्षणों के साथ विभिन्न प्रकार के सिरदर्द से पीड़ित होते हैं। आइए जानते हैं बच्चों में होने वाले सिर्द के टाइप और उनके लक्षणों के बारे में।
माइग्रेन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, माइग्रेन सबसे अधिक प्रचलित बीमारियों में से एक है।
इसके लक्षण हैं:
- सिर में तेज दर्द जो बच्चों में थकावट और चिड़चिड़पान पैदा कर सकता है।
- मतली और उल्टी।
- पेट में ऐंठन।
- ध्वनि और प्रकाश के प्रति तीव्र संवेदनशीलता।
तनाव से सिरदर्द
वयस्कों की तुलना में ये बच्चों और किशोरों में ये दर्द अधिक आम हैं। अक्सर तनाव और थकान के परिणामस्वरूप सिर और गर्दन के टिशूज में सामान्य रक्त प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न होता है, जिससे सिरदर्द होता है।
इसके लक्षण-
- माथे के दोनों तरफ दर्द।
- सिर और गर्दन क्षेत्र के आसपास की मांसपेशियों में दर्द।
- बुखार या ब्लड प्रेशर का हाई हो जाना।
क्लस्टर सिर दर्द
क्लस्टर सिरदर्द एक दिन या एक सप्ताह की अवधि में पांच या इससे अधिक बार होते हैं। प्रत्येक बार ये 15 मिनट से तीन घंटे तक चल सकती है।
लक्षण-
- माथे के एक तरफ दर्दनाक दर्द।
- नाक में दर्द या खून आ जाना।
- आंखों में पानी।
- स्वभाव में झल्लाहट और बात-बात पर गुस्सा करना।
- बच्चों में सिरदर्द के अन्य मुख्य कारण
- एक मौसमी फ्लू और वायरल इंफेक्शन के कारण
- लगातार साइनस संक्रमण के कारण
- तनाव और थकान से
- नींद न आना से
- अत्यधिक शारीरिक परिश्रम
- लंबे समय तक पढ़ने, लंबे समय तक टीवी देखने और वीडियो गेम खेलने के कारण
- आई स्ट्रेन और सिर में चोट के कारण
ट्यूमर
- भावनात्मक तनाव, जैसे पीयर प्रेशर और प्रफोमेंस प्रेशर के कारण
- ब्रेन में होने वाले इंफेक्शन जैसे मैनिंजाइटिस और एन्सेफलाइटिस
- नाइट्रेट या एमएसजी से फूड एलर्जी
- बच्चों को सिरदर्द से बचाने के उपाय
बच्चों के सिरदर्द में डॉक्टर की मदद लेना बहुत जरूरी हो जाता है। इन दिनों किशोरों और यहां तक कि माता-पिता भी डॉक्टर के पास जाने के बजाय एनाल्जेसिक और पेरासिटामोल का इस्तेमाल करते हैं। यह हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह दवा-अति प्रयोग सिरदर्द को और बढ़ा सकता है और आगे के लिए ये आप आदि बना सकता है। सिर में मालिश, कोल्ड कंप्रेस या अच्छी नींद न मिलने से सिर में दर्द होने की स्थिति में कुछ राहत मिल सकती है। इसलिए आप अपने बच्चों के लिए ये कर सकते हैं। वहीं बच्चों के संतुलित आहार और बाहरी गतिविधियों का खास ख्याल रखें। सिरदर्द के कारणों को पहचानने और उससे बचने के लिए हर बार बच्चों को दर्द पर ध्यान दें। वहीं खाने-पीने में बिलकुल कोई कमी न करें। बच्चे को स्ट्रेस न दें और उससे हर बात खुल कर करें।
इसे भी पढ़ें-
Comments (0)
Facebook Comments (0)